सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए! Heart Touching Poem from Poor Kids ( Loving Mom-Dad )

सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए| मेरी मज़बूरी से कोई आज गले लग जाए|| मेरी हर साँस मुजसे कैसी रिहाई मांगे प्यार है खाबो से और नींद जुदाई मांगे| मेरी अम्माने कभी साज न श्रृंगार किया मेरे अब्बाने हर-एक लम्हा मेरे नाम किया| मेरे घर पे ना कभी कोई दिया जल पाया ना ही दीपावली पे कोई गले लग पाया|| सीने से निकली.....o कभी लगता है मुझे भूख से रिश्ता अपना मेरे जीवनमे कभी सुख का रहता सपना| मेरी आँखोंने कभी आंसू से रिश्ते जोड़े कभी मज़बूरीने आईने अना के तोड़े| ( अना = आत्मसम्मान) मायने मेरी हसी के कई बदले है गए कभी अम्माको रुलाया कभी भूखे सोये|| सीने से निकली.....o था मुझे कल भी किसी कोने में सोना पड़ता है मुझे आज भी बिन कपड़ो के रहना पड़ता| प्यास लगती है तो पानी से बूजा लेता हूँ भूख लगती है तो पानी ही में खा लेता हूँ| सच बताऊ इसी उम्मीद में सो जाता हूँ कल के सूरज को खुदा हाफिज् कह जाता हूँ|| सीने से निकली.....o मेरी इस इल्तेज़ा को तुम भी जरा सुन लेना मेरे इस दर्द को सीने से तुम लगा लेना| क्या मुझे प्यार की खै...