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सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए! Heart Touching Poem from Poor Kids ( Loving Mom-Dad )

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सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए| मेरी मज़बूरी से कोई आज गले लग जाए|| मेरी हर साँस मुजसे कैसी रिहाई मांगे प्यार है खाबो से और नींद जुदाई मांगे| मेरी अम्माने कभी साज न श्रृंगार किया मेरे अब्बाने हर-एक लम्हा मेरे नाम किया| मेरे घर पे ना कभी कोई दिया जल पाया ना ही दीपावली पे कोई गले लग पाया||    सीने से निकली.....o कभी लगता है मुझे भूख से रिश्ता अपना मेरे जीवनमे कभी सुख का रहता सपना| मेरी आँखोंने कभी आंसू से रिश्ते जोड़े कभी मज़बूरीने आईने अना के तोड़े|      ( अना = आत्मसम्मान) मायने मेरी हसी के कई बदले है गए कभी अम्माको रुलाया कभी भूखे सोये||    सीने से निकली.....o था मुझे कल भी किसी कोने में सोना पड़ता है मुझे आज भी बिन कपड़ो के रहना पड़ता| प्यास लगती है तो पानी से बूजा लेता हूँ भूख लगती है तो पानी ही में खा लेता हूँ| सच बताऊ इसी उम्मीद में सो जाता हूँ कल के सूरज को खुदा हाफिज् कह जाता हूँ||      सीने से निकली.....o मेरी इस इल्तेज़ा को तुम भी जरा सुन लेना मेरे इस दर्द को सीने से तुम लगा लेना| क्या मुझे प्यार की खै...

Top 10 @ Shayri Collection for Love with Narela Guyz

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Top Shayri Collection For Love गजब की  जिन्दगी होती है  शायरी  लिखना...  खुद के  खंजर से  खुद की  खुदाई  लिखना.            -जे के शायरी                        *** उदास तो बहुत रहे मगर कभी ज़ाहिर न किया,,,,, ठीक हूँ बस इसी लफ्ज़ ने सब संभाल लिया..           -जे के शायरी                       *** न जाने किसने पढ़ी है मेरे हक़ में दुआ, आज तबियत में जरा आराम सा है।         -जे के शायरी                       *** ये आशिको की महफ़िल है जनाब..!! . यहाँ दिन सुरज से नही, दीदार से हुआ करते है !!!          -जे के शायरी                       *** सुनसान सी लग रही है , आज ये शायरों की बस्ती…. क्या किसी के दि...

कैसे बताऊ मैं तुम्हे मेरे लिए तुम कौन हो| Heart Touching Poem !

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कैसे बताऊ मैं तुम्हे मेरे लिए तुम कौन हो। कैसे बताऊ। कैसे बताऊ मैं तुम्हे तुम धड़कनो का गीत हो। जीवन का तुम संगीत हो। तुम जिंदगी, तुम बंदगी, तुम रोशनी, तुम ताजगी। तुम हर खुशी, तुम प्यार हो, तुम प्रीत हो, मन मीत हो। नींदों में तुम, यादो में तुम, सांसो में तुम, बाहो में तुम। तुम हो मेरी हर बात में, तुम हो मेरे दिन रात में; तुम सुबह में, तुम शाम में, तुम सोच में, तुम काम मे। मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम; मेरे लिए हसना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम; और जागना सोना भी तुम। जाऊ कही, देखु कही; तुम हो वहा, तुम हो वही कैसे बताऊ मैं तुम्हे तुम बिन तो मैं कुछ भी नही। कैसे बताऊ मैं तुम्हे मेरे लिए तुम कौन हो। कैसे बताऊ। ये जो तुम्हारा रूप है; ये जिंदगी की धूप है। चंदन से तरसा है बदन; बहती है जिसमे गगन। ये सुर्खिया, ये मस्तिया; तुमको हवाओ से मिली; जुल्फे घटाओ से मिली। होठो से कालिया खिल गई; आंखों को झीले मिल गई। चेहरे में सिमटी चांदनी, आवाज़ में है रागनी। शीशे के जैसा अंग है; फूलो के जैसा रंग है। नदियों के जैसी चाल है, क्या हुस्न है क्या हाल है। ये ...

हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।

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IMG Source:- Google Inc. तेरी मेरी सबकी बात लिखेंगे। हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे। सूरज के रथ हम चढ़ेंगे जरूर। हाथ जो बढ़ाएंगे तो चंदा नही दूर, अरे चंदा नही दूर। सूखे बादलो पे बरसात लिखेंगे। हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे। हौसले की नैया अब, दिए है उतार। हमसे किनारा नही पूछो रे मल्हार, मत पूछो रे मल्हार। बहती नदी पे कोई बांध लिखेंगे। हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे। ✍Nilotpal                    - नीलोत्पल मृणाल

क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....।

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नई सुबह है मौसम सुहावना है पर मन उदास है...। है किसी की कमी,शायद इसलिए मन उदास है..। कोई चली गयी सब कुछ छोड़ के शायद आज फिर उसकी तलाश है। क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....। मैनें रोका उसे, समझया भी उसे पर पर उसको भी शायद किसी की तलाश है..।.     क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....। जगह जगह ढ़ूढ़ा उसे मैनें...पर नहीं मिली वो मुझे..। ना जाने कहां उसका अब वास है...।    शायद इसलिए मन उदास है....। सबसे करीब है वो मेरे...मेरे दिल पर उसका ही राज है..।  क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....। भुल गयी है शायद वो मुझे.. इसलिए पहचाना नही की, मेरी ही ये आवाज है...। सुनकर भी बनी अनजानी कहा ये किसी किसी अजनबी की आवाज है..। भर आई आंखे मेरी ..अरे  खुदगर्ज मेरी ये दर्द भरी पुकार है..। क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....। चला जाऊँगा एक दिन मैं ये सब छोड़ कर...मेरे लिए ये बकवास है...। ढूंढेगी दर दर.. झटकेगी कहां कहां पर अब नहीं यहां मेरा निवास है..।      क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....।          ...

A piece of gratitude to all the mothers in this world...!

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IMG Source:- Google Inc. मेरे गुस्से को वो आँसू से मीटा पाती है माँ मुझे पहेले खिला के ही बचा खाती है | यह असर माँ की दुआओं का है सर पर मेरे मुझे हर खतरे से आबाद बचा लाती है | मेरी माँ जब भी किया करती है सजदा-ए-दुआ हाँ उसी वख्त मुझे हिचकियाँ क्यूँ आती है | मुझे जन्नत भी गवारा नहीं उस पल के लिए जब मुझे सोते हुए सर पे माँ सहलाती है | मेरी रुखसत पे वोह हसते हुए मिलती है ‘सफीन’ भीगी आँखें ही मुझे माँ की रुला जाती है |                      -सफीन हसन ( Youngest IPS Officer)                              - राहुल यादव