सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए! Heart Touching Poem from Poor Kids ( Loving Mom-Dad )


Poem from poor kids and mom dad, govt. College narela, rahul yadav


सीने से निकली यह आवाज रुहो तक जाए|
मेरी मज़बूरी से कोई आज गले लग जाए||

मेरी हर साँस मुजसे कैसी रिहाई मांगे
प्यार है खाबो से और नींद जुदाई मांगे|
मेरी अम्माने कभी साज न श्रृंगार किया
मेरे अब्बाने हर-एक लम्हा मेरे नाम किया|
मेरे घर पे ना कभी कोई दिया जल पाया
ना ही दीपावली पे कोई गले लग पाया||    सीने से निकली.....o

कभी लगता है मुझे भूख से रिश्ता अपना
मेरे जीवनमे कभी सुख का रहता सपना|
मेरी आँखोंने कभी आंसू से रिश्ते जोड़े
कभी मज़बूरीने आईने अना के तोड़े|      ( अना = आत्मसम्मान)
मायने मेरी हसी के कई बदले है गए
कभी अम्माको रुलाया कभी भूखे सोये||    सीने से निकली.....o

था मुझे कल भी किसी कोने में सोना पड़ता
है मुझे आज भी बिन कपड़ो के रहना पड़ता|
प्यास लगती है तो पानी से बूजा लेता हूँ
भूख लगती है तो पानी ही में खा लेता हूँ|
सच बताऊ इसी उम्मीद में सो जाता हूँ
कल के सूरज को खुदा हाफिज् कह जाता हूँ||      सीने से निकली.....o

मेरी इस इल्तेज़ा को तुम भी जरा सुन लेना
मेरे इस दर्द को सीने से तुम लगा लेना|
क्या मुझे प्यार की खैरात नहीं मिल सकती?
क्या नयी जिंदगी की आस नहीं मिल सकती?
यह खुदा का ही है फरमान इसे सुन लेना
कफ़न से पहेले किसीका बदन सजा देना||        सीने से निकली.....o

           -Safin Hasan ( IPS Officer )

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।

कैसे बताऊ मैं तुम्हे मेरे लिए तुम कौन हो| Heart Touching Poem !

क्या कहूं शायद इसलिए मन उदास है....।