A piece of gratitude to all the mothers in this world...!




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मेरे गुस्से को वो आँसू से मीटा पाती है
माँ मुझे पहेले खिला के ही बचा खाती है |

यह असर माँ की दुआओं का है सर पर मेरे
मुझे हर खतरे से आबाद बचा लाती है |

मेरी माँ जब भी किया करती है सजदा-ए-दुआ
हाँ उसी वख्त मुझे हिचकियाँ क्यूँ आती है |

मुझे जन्नत भी गवारा नहीं उस पल के लिए
जब मुझे सोते हुए सर पे माँ सहलाती है |

मेरी रुखसत पे वोह हसते हुए मिलती है ‘सफीन’
भीगी आँखें ही मुझे माँ की रुला जाती है |

                     -सफीन हसन ( Youngest IPS Officer)


                             - राहुल यादव

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