हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।


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तेरी मेरी सबकी बात लिखेंगे।
हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।

सूरज के रथ हम चढ़ेंगे जरूर।
हाथ जो बढ़ाएंगे तो चंदा नही दूर,
अरे चंदा नही दूर।

सूखे बादलो पे बरसात लिखेंगे।
हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।

हौसले की नैया अब, दिए है उतार।
हमसे किनारा नही पूछो रे मल्हार,
मत पूछो रे मल्हार।

बहती नदी पे कोई बांध लिखेंगे।
हम ही तो कल इतिहास लिखेंगे।

✍Nilotpal
                   - नीलोत्पल मृणाल

टिप्पणियाँ

  1. नीलोत्पल जी की एक बेहतरीन कविता

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  2. सूखे बादलो पे बरसात लिखेंगे। &
    बहती नदी पे कोई बांध लिखेंगे।
    Gajab ka line hai bhai

    जवाब देंहटाएं
  3. बकवास कविता यथार्थ से दूर फालतू के अलंकार , सूरज का रथ नहीं होता, हाथ से चंदा नहीं छुआ जा सकता है। पानी पे बांध लिखेंगे....?

    जवाब देंहटाएं

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